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कुस्वप्न जो लाते है शोक और दुख - कैसे करे दुःस्वप्न का निदान

दुःस्वप्न के फल और निदान

स्वप्न और दुःस्वप्न दोनों एक ही सिक्के के दो पहलु है, केवल मात्र ये जानने की जरूरत है की कौनसा सपना अच्छा है और कौनसा बुरा, कई बार स्वप्न में दिखने वाले अच्छे संकेत वास्तविकता में बुरे हो सकते है, तो बुरे संकेत अच्छे हो सकते है. अगर आप जानना चाहते हैं की ऐसे कौनसे दुःस्वप्न हैं जो शोक और अति दुःख का कारण बन सकते हैं, तो इस लेख को पढ़ सकते हैं, कैसे इन बुरे स्वप्नों का प्रभाव खत्म किया जा सकता हैं, इसका भी वर्णन यहाँ किया गया है. अगर आपका देखा हुआ सपना यहाँ नहीं है तो आप अपने सपने का फल स्वप्न फलादेश सॉफ्टवेयर से जान सकते है.

दुःस्वप्न के परिणाम और उनका उपचार - सुख वृद्धि और दुख वृद्धि करने वाले सपने

 दुःस्वप्न के परिणाम और उपचार

सुख हानि करने वाले सपने और सुख वृद्धि करने वाले सपने

निचे दिए गए सपने बुरे स्वप्न के अंतर्गत आते है क्योंकि ऐसे सपने देखने वाला दुःख और शोक में घिर सकता है.

जुलाहा या बढ़ई या मोची
मृत पक्षी
मोर देखना
खून देखना या रक्त की वर्षा
मिठाई खाना
बच्चे का रोना
चोटी
आग से कपडे जलना
गधे की आवाज
अपठनीय अक्षर पढ़ना
गलीचा

निम्न दुःस्वप्न अति दुख और शोक का कारण बन सकते हैं

मकान टूटना
पक्षी द्वारा काटना
पेड़ से गिरना
वसीयत लिखना
यमराज
भगवान की मूर्ति की चोरी
भगवान की मूर्ति टूटना
कद लम्बा होना

निचे दिए गए सपने भी दुख और शोक का संकेत देते हैं.

खुद का कटा हाथ देखना
कौआ
फूल जलना
कमंडल

इसके उलट अगर निम्न स्वप्न देखे जाते है तो ये शुभकारी होते है और आयु वृद्धि करने वाले कहे जाते है, इसमें से कुछ सपने दुःस्वप्न प्रतीत होते है पर उनका फल नेष्ट नहीं होता बल्की शुभ होता है.

भगवान या देवी की मूर्ति
कफ़न
खुद के सफेद बाल
श्मशान
कंकाल
करवा चौथ
अपहरण
आत्महत्या

दुःस्वप्न और उनका उपचार

कौनसे सपने फल प्रदान नहीं करते हैं?

यदि सपना देखने वाला बीमार है, या उसके वात, कफ, पित्त की स्थति बिगड़ी हुई है या वो मानसिक तनाव से ग्रसित है, तो अच्छे हो या बुरे, स्वप्न फल प्रदान नहीं करते हैं. उसी प्रकार दिन में देखे गए सपनों का भी कोई फल नहीं होता.

बुरे सपनों का फल कैसे नष्ट करें?

अगर रात्रि में अशुभ स्वप्न का दर्शन हो तो, दुबारा अवश्य सोना चाइये और सुबह उठ कर दु:स्वप्न को माता, गुरु या गाय के कान में कहना चाइये अगर इनको स्वप्न कहने में असमर्थता हो तो तुलसी के पौधे के समक्ष या अन्य व्यक्तियों को कहना चाइये, इससे दु:स्वप्न के प्रभाव समाप्त या कम हो जाता हैं, सुबह गजेंद्र मोक्ष का पाठ या शिव मंदिर में रुद्राभिषेक करना चाइये, या शिव लिंग पर जल चढ़ाना चाइये.

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