ज्योतिष और अंक ज्योतिष के अनुसार हिंदू नववर्ष संवत्सर भविष्यफल
शर्वरी संवत्सर नामक नया हिंदू नववर्ष 25 मार्च 2020 को जल्द ही आ रहा है. यह जानने के लिए कि यह वर्ष ज्योतिष पंचांग और अंक शास्त्र के अनुसार कैसा रहेगा, यहाँ पर संवत्सर शर्वरी या प्रमाथी के लिए फल कथन किया गया है. विकारी संवत की भविष्यवाणी जानना भी दिलचस्प है, जो 24 मार्च 2020 को समाप्त होने वाला है. इस लेख को English में पढ़ें.

संवत - वैदिक ज्योतिष में हिंदू वर्ष
नए वर्ष का आगमन 1 जनवरी को माना जाता है परन्तु, भारतीय वैदिक कैलेंडर और ज्योतिष के हिसाब से चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रथमा तिथि को ही नव वर्ष की शुरुआत माना जाता है, क्योंकि हिन्दू वेदों के अनुसार इसी तिथि को ब्रह्मांड का निर्माण हुआ था. इसी दिन से वैदिक वसंत ऋतु का प्रारम्भ भी होता है, जो की नव निर्माण का प्रतीक है, प्रकृति भी वसंत में नव निर्माण शुरू करती है. हिन्दू नव वर्ष को नव संवत्सर या नव सम्वत भी कहा जाता है.
इस वर्ष नव सम्वत 25 मार्च 2020 को शुरू हो रहा है, भारत में कई पौराणिक कैलेंडर प्रचलन में है, जैसे शक सम्वत, विक्रम सम्वत, कलियुग संवत आदि. शक संवत भारत का राष्ट्रीय कैलेंडर है, वैसे विक्रम संवत की भी काफी मान्यता है.
प्रत्येक हिन्दू कैलेंडर 60 वर्ष के चक्र में होता है और प्रत्येक साल का एक नाम होता है, जो उसके गुणों को दर्शाता है. इस साल 25 मार्च से जो नव संवत्सर शुरू हो रहा है, उसका नाम शक संवत अनुसार शर्वरी और वर्ष 1942 है, विक्रम संवत अनुसार नाम प्रमाथी और वर्ष 2077 है.
25 मार्च 2020 का नव संवत्सर और उसकी ग्रह सरकार क्या है ?
- शक संवत - शर्वरी 1942
- विक्रम संवत - प्रमाथी 2077
- नक्षत्र - रेवती
- चंद्र राशि - मीन
- सूर्य राशि - मीन
- संवत राजा एवं धनेश (धन के स्वामी) - बुध
- संवत मंत्री - चंद्र
- सस्येश (फसलों के स्वामी), नीरसेश (ठोस धातुओं का स्वामी) - गुरु
- धान्येश (अनाज के स्वामी) - मंगल
- रसेश (रसों के स्वामी) - शनि
- मेघेश (वर्षा के स्वामी), फलेश (फलों के स्वामी), दुर्गेश (सेना के स्वामी) - सूर्य
संवत्सर के राजा को कैसे चुना जाता है ?
किसी भी नए संवत्सर के चैत्र माह की प्रथमा तिथि को जो वार होता है, उस वार का स्वामी उस वर्ष का राजा होता है. इस वर्ष का राजा 25 मार्च को बुधवार होने से बुध ग्रह माना जायेगा.
शर्वरी और प्रमाथी शब्द के अर्थ और फल क्या हैं ?
शर्वरी एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ होता है - रात्रि, संध्या काल, स्त्री. नाम अनुसार इस वर्ष के फल होंगे, जैसे तमोगुण की प्रधानता, स्त्री चारित्रिक विशेषता. ये एक दिन और रात्रि के संधि काल की तरह होगा, और मिश्रित फल प्रदान करेगा.
प्रमाथी का सीधा अर्थ है आलस्य युक्त, इसलिए ये वर्ष लोगों को कुछ मायने में अकर्मण्य बनाएगा.
इस वर्ष के राजा बुध और मंत्री चंद्र होने का प्रभाव
बुध इस संवत्सर का राजा है, इसलिए व्यापारिक गतिविधियां बढ़ेंगी, व्यापारियों और संतों के लिए यह अच्छा समय होगा, इसलिए यदि व्यवसाय अच्छे हैं, तो अर्थव्यवस्था में भी तेजी आएगी. बुध संचार प्रणाली और भाषण का स्वामी है, इसलिए मीडिया, संतों और नेताओं का वर्ष की गतिविधियों पर बहुत प्रभाव पड़ेगा. फिर से, धन का स्वामी भी बुध है, जिसके कारण लोगों और सरकारों को लाभ और पैसा मिलेगा. यह समृद्ध जीवन का भी संकेत देता है. बुध को तमोगुणी कहा जा सकता है, इसलिए कानून विरोधी घटनाओं का संकेत भी है, लेकिन हर अच्छी या बुरी घटना थोड़े समय के लिए ही होगी.
चंद्रमा इस संवत का मंत्री है, इसलिए बारिश अच्छी होगी, धन और धान्य में वृद्धि होगी. अर्थव्यवस्था में तेजी और मंदी का व्यापक वातावरण होगा. चंद्र एक शुभ ग्रह है, इसलिए वर्ष के लिए अच्छे परिणाम प्रदान करेगा.
विकारी संवत्सर का एक ज्योतिषीय अवलोकन
वर्तमान संवत्सर 6 अप्रैल 2019 की प्रतिपदा को चालू हुआ था, जो 24 मार्च 2020 तक चलेगा, इस वर्ष के राजा शनि और मंत्री सूर्य है, वर्ष का शक संवत नाम विकारी और विक्रम संवत नाम परिधावी है. सबसे पहले तो ये जानिए की शनि एक क्रूर ग्रह है, ये लम्बे समय तक चलने वाले और धातक रोगों का भी स्वामी है, ये न्याय प्रिय राजा है. शनि की पास ही मेघेश और दुर्गेश का कार्य प्रभार है.
24 मार्च 2020 तक संवत्सर विकारी की भविष्यवाणियाँ क्या हैं ?
पहले तो वर्ष का नाम ही विकारी है जिसका अर्थ होता है विकार युक्त या बीमार, और परिधावी का अर्थ होता है द्रवण- शील, बहने वाला या दौड़नेवाला. नामों से इंगित होता है की ये वर्ष शुरू से ही विकार युक्त था. उस पर शनि जो की धीमी गति से चलने वाला ग्रह है, और शनैचर के नाम से जाना जाता है, और हर फल धीमी गति पर पूर्ण प्रचंडता से देता है, अत: लगभग वर्ष के अंत तक कई बुरे फल देखने को मिल सकते है. फिर सूर्य जो की मंत्री है पर शनि की उनसे शत्रुता है, जो की सत्ता, राजनीती, जलवायु, स्वास्थय आदि में विरोधाभास का सूचक है. जो की हम देख ही रहे है, सत्ता की उठापटक, जलवायु का परिवर्तन, स्वास्थय में विरोध. हमारा ये मानना है की ये विकारी वर्ष काफी लोगों को किसी न किसी रोग से जरूर पीड़ित किया होगा. मुख्य रूप से उन व्यक्तियों के लिए ये वर्ष ख़राब होगा चाहे स्वास्थय की दृष्टि से या धन की दृष्टि से, जो शनि की दशा, अंतर दशा या ढैया से पीड़ित है या जिनका सूर्य और शनि जन्म कुंडली में ख़राब है.
विकारी संवत कब तक चलेगा ?
सबसे पहले तो ये जानिए, ग्रह चाल कोई कंप्यूटर प्रोग्राम नहीं है की 25 मार्च को शनि का और विकारी वर्ष का प्रभाव समाप्त हो जायेगा. हर वर्ष का स्वामी अपने स्वभावनुसार वर्ष के आरम्भ से पहले और अंत के बाद कुछ समय तक प्रभाव देता ही है, जैसे शनि सबसे मंद गति से चलने वाला ग्रह है, ये एक राशि में लगभग 30 महीने रहता है, और एक राशि में नौ नक्षत्र-चरण माने गए हैं, जिनमे शनि संक्रमण करता है. तो अगर ज्योतिष गणित किया जाए तो 30/9 = 3.25 महीने , पुन: चूँकि इस वर्ष के राजा शनि का अधिकार 12 माह का है, तो 100 दिन / 2.5 = 40 दिन. यानि 6 अप्रैल 2019 से लगभग 40 दिन पहले से और 24 मार्च के 40 दिन बाद तक इसका असर रहेगा. इसे ऐसे मानिये जैसे कोई व्यक्ति आपके घर आया, झगड़ा किया और चला गया, पर कुछ समय तक आपके घर के उस वातावरण में इसकी तल्खी रही. तो 25 मार्च 2020 से शनि का और विकारी संवत्सर का प्रभाव धीरे धीरे कम होना शुरू हो जायेगा, पर पूर्ण समाप्ति में लगभग 24 मार्च के बाद 40 दिन लग जायेंगे.
हिन्दू संवत्सरों की अंक ज्योतिष
हमें लगता है, यह हमारे पाठकों के लिए दिलचस्प होगा कि अंकशास्त्र संवत्सर के नाम के अनुसार क्या कहता है, यह जानने के लिए हम उनके नाम के अंक निकालते है.
संवत नाम अंक गणित | ||
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विकारी 6 अप्रैल से 24 मार्च तक | नामांक - 4 | रहस्मयी, अनपेक्षित |
परिधावी 6 अप्रैल से 24 मार्च | नामांक - 11 | संवेदनशील, आध्यात्मिक |
शर्वरी 25 मार्च से 12 अप्रैल तक | नामांक - 3 | रचनात्मक, आदर्श |
प्रमाथी 25 मार्च से 12 अप्रैल तक | नामांक - 8 | खेल परिवर्तक, धनवान |
विकारी संवत का नाम संख्या 4 है, जो राहु के स्वामित्व में आता है, जो वर्ष के दौरान अप्रत्याशित और बुरी घटनाओं के लिए जाना जाता है. एक अन्य नाम परिधावी, जिसका नामांक 11 है, जो चंद्रमा के आधीन आता है, जो संवेदनशील और आध्यात्मिक व्यवहार के लिए जाना जाता है, यह लोगों को संवेदनशील और आध्यात्मिक बनाता है. तो, इस साल अंक ज्योतिष के अनुसार भी बुरा है, क्यों कि चंद्रमा राहु से आसानी से प्रभावित हो सकता है.
आगामी संवत या हिंदू वर्ष, जो 25 मार्च 2020 को शुरू होने जा रहा है, जिसका नाम शर्वरी है और नामांक 3 है, जो बृहस्पति के स्वामित्व में आता है, जो आदर्शवाद और रचनात्मक लक्षणों के लिए जाना जाता है. एक और नाम प्रमाथी, जिसका नामांक 8 है, जो परिस्थितियों को बदलने में सक्षम और धन आगमन का प्रतीक है. और, जिसका स्वामी शनि है, जो रंक को राजा और राजा को रंक बनाने में सक्षम है. कुल मिलाकर, अंकशास्त्र के अनुसार, यह वर्ष पिछले हिंदू वर्ष से कहीं बेहतर होगा, लेकिन इतना अच्छा नहीं है जितना फलित ज्योतिष शास्त्र कहता है. क्योंकि शनि अच्छे या बुरे दोनों का विशद परिणाम दे सकता है.
यहाँ, यह भी उल्लेख करना आवश्यक है, कि वर्ष 2020 की संख्या 4 है. संख्या 4 पर राहु का शासन है, जो अज्ञात और अप्रत्याशित घटनाओं के लिए जाना जाता है. राहु एक अशुभ ग्रह है, जो अर्थव्यवस्था, स्वास्थ्य और राजनीति में अस्थिरता ला सकता है. हम सर्वश्रेष्ठ की उम्मीद ही कर सकते हैं.